آفتاب و ماه عکس روي تو | | اي خم چرخ از خم ابروي تو |
معتکف شد عقل و جان در کوي تو | | تا به کوي عقل و جان کردي گذر |
هر دو عالم بوي يکتا موي تو | | کي دهد آن را که بويي دادهاي |
تا نيايد هيچکس ره سوي تو | | در ميان جان و دل پنهان شدي |
من ز جان و دل شدم هندوي تو | | چون تويي جان و دلم را جان و دل |
مي نيايد از دلم جز بوي تو | | عشق تو چندان که ميسوزد دلم |
تا ابد عطار در پهلوي تو | | پشت گردانيد دايم از دو کون |